प्रिय वाचक मित्रों,
नमस्ते, “ चलो कुछ सीखें ” यह विचार के साथ और यह वेबसाइट के मांध्यम से आप सभीसें जुड़ने का मेरा यह विनम्र प्रयास, आशा है, आप सभी को पसंद आयेगा ।
हमने अपने जिवन काल मे यह जरुर महसूस किया होगा कि सीखना एक आजीवन प्रक्रिया है, और जितना अधिक हम अपनी शिक्षा को कुछ नयाँ सीखने में लगातें है उतना ही कुछ अधिक ही इससे प्राप्त करते है । इसलीए यह लगातार बदलती दुनिया मे हर दिन कुछ न कुछ सीखतें रहना चाहिए ।
अब प्रश्न यह है कि क्या सीखें ? क्यो सीखें ? और कहा से सीखें ? इस का समधान इशावाश्य उपनिषद करता है :-
अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययाऽमृतमश्नुते ॥
वह अविद्या से मृत्यु को पार कर विद्या से अमरता का आस्वादन करता है।
यहा अविध्या से भौतीक जगत और विध्या से अभौतीक जगत समज सकते है और यहि हमारे यहा होने कि वजह भी है भौतिक जगत मे हम साहित्य, आयुर्वेद , विज्ञान विगेरे विषय को समजने का प्रयास करेंगे और अभौतिक जगत जो जिवन से पेहले और मुत्युके बादके को कह्ते है उसे भी जानने का यत्न करेगे ।
हमारी यह यात्रा मे यह साइट हमारी साथी रहेगी, जो हमे अज्ञात को ज्ञात करनेकी खोज के मार्ग पर हमारे दृष्टिकोण को विकसित और दूरदर्शित बनाती रहेगी । मुझे यह भी उम्मीद है की , जब भी हम इस साइट की गोद मे आयेंगे (पन्नों/लेखो को बार बार पढ़ेंगे ) तो वे हर बार हमे (एक माँ की तरह ) नया विचार, नया दृष्टिकोण और चिजोको नये स्वरुप मे देखने की प्रेरणा देती रहेगी ……
क्रमशः